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Delhi Blast की गूंज कश्मीर तक! ‘टेरर मॉड्यूल’ पर बड़ी कार्रवाई, कई गिरफ्तार – आखिर कौन है 13 मौतों का गुनहगार?
दिल्ली में हुए कार धमाके में 13 लोगों की मौत के बाद जांच अब पूरी तरह कश्मीर पर केंद्रित हो गई है। राजधानी में सोमवार शाम भीड़-भाड़ के वक्त हुए इस धमाके ने पूरे देश को हिला दिया, और अब जांच एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं।
सरकार ने कहा – यह ‘टेरर अटैक’ है
बुधवार को केंद्र सरकार ने इस धमाके को “आतंकी घटना” बताते हुए कहा कि इसे “राष्ट्रविरोधी ताकतों” ने अंजाम दिया है। शुरुआत में 8 मौतें हुई थीं, लेकिन शुक्रवार तक यह आंकड़ा बढ़कर 13 हो गया। पिछले एक दशक में यह दिल्ली पर हुआ सबसे घातक हमला माना जा रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “साज़िश” कहा, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने वादा किया कि “इस घटना के हर एक गुनहगार को पकड़कर रहेगा।”
अब तक किसी ग्रुप का नाम घोषित नहीं, लेकिन जांच कश्मीर मॉड्यूल पर
अभी तक अधिकारियों ने औपचारिक रूप से नहीं बताया कि इस हमले के पीछे कौन है, लेकिन जांच एजेंसियां उस “इंटरस्टेट और ट्रांसनेशनल टेरर मॉड्यूल” की भूमिका तलाश रही हैं जिस पर धमाके से पहले ही पुलिस ने कार्रवाई शुरू कर दी थी।
यह जांच पिछले महीने तब शुरू हुई जब पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर श्रीनगर में दिखाई दिए। कश्मीर, खासकर भारतीय प्रशासन वाले हिस्से में, 1990 के दशक से पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की समस्या बनी हुई है।
जांच के दौरान सात लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से दो कश्मीरी डॉक्टर थे। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित एक डॉक्टर के घर पर की गई छापेमारी में 2,900 किलो विस्फोटक, केमिकल्स, डेटोनेटर और असॉल्ट राइफलें मिलीं। माना जा रहा है कि यह एक बड़े मल्टी-टारगेट हमले की तैयारी थी।
धमाके से पहले की कहानी – कार कैसे पहुंची दिल्ली?
गिरफ्तारियों के अगले ही दिन एक सफेद Hyundai कार हरियाणा से दिल्ली पहुंची। कुछ समय एक पार्किंग में खड़ी रहने के बाद यह कार पुरानी दिल्ली की भीड़ वाली सड़कों पर निकली। कुछ मिनटों बाद जोरदार धमाका हुआ—कार उछल गई, लोग हवा में फेंके गए और आसपास की गाड़ियां आग पकड़ गईं।
मंगलवार को इस मामले में यूएपीए के तहत केस दर्ज हुआ और जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने संभाल ली।
इसके बाद कश्मीर में बड़े पैमाने पर छापेमारी शुरू कर दी गई।
एक और कश्मीरी डॉक्टर पर शक – घर पर छापा, फिर ‘बुलडोज़र एक्शन’
जांचकर्ताओं ने दावा किया कि कार चलाने वाला व्यक्ति भी कश्मीर का ही एक डॉक्टर था, जो श्रीनगर से 20 मील दूर कोइल गांव का रहने वाला है। पहले गिरफ्तार किए गए दो डॉक्टर भी इसी गांव और एक ही मेडिकल कॉलेज से जुड़े थे।
कोइल के लोग इन डॉक्टरों को पढ़ाई में तेज, शांत और आदर्श विद्यार्थी मानते थे—इसी वजह से इस खुलासे ने सबको चौंका दिया है। दोनों परिवारों ने भी एक-दूसरे को जानने से इनकार किया।
धमाके के कुछ घंटों बाद पुलिस उस डॉक्टर के घर पहुंची, पूरे घर की तलाशी ली, मोबाइल फोन जब्त किए और परिवार के लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया।
हालांकि अधिकारियों ने उसके शामिल होने की आधिकारिक पुष्टि नहीं की थी, लेकिन शुक्रवार तक उसका घर ढहा दिया गया—जो कि हाल के वर्षों में “बुलडोज़र जस्टिस” के नाम से कुख्यात सरकारी कार्रवाई माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की जांच जारी
कश्मीर पुलिस का कहना है कि पहले गिरफ्तार किए गए सातों लोगों के लिंक जैश-ए-मोहम्मद और अंसार गजवत-उल-हिंद (ISIS से जुड़ा संगठन) से जुड़े थे। हालांकि इसे स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं किया जा सका है।
इस बार भारत का रुख ज्यादा शांत क्यों?
दिल्ली धमाके पर भारत की प्रतिक्रिया पहले की तुलना में काफी संयमित रही है।
अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 20 से ज्यादा हिंदू तीर्थयात्रियों की मौत के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ड्रोन व मिसाइल हमले तक हो गए थे, जिससे दोनों देश युद्ध के कगार पर पहुंच गए थे।
लेकिन इस बार सरकार का नरम लहजा कई सवाल खड़े कर रहा है—क्या सरकार अभी भी नहीं समझ पा रही कि इस हमले के पीछे आखिर कौन है? या फिर साजिश उससे कहीं बड़ी है जितनी शुरू में दिखाई दी?
कश्मीर पुलिस हाई अलर्ट पर
कश्मीर पुलिस ने कहा कि वे “किसी भी नई घटना को रोकने के लिए हाई अलर्ट पर” हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया:
“कई एजेंसियां लगातार छापेमारी कर रही हैं। जांच जारी है, और हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा रही है।



