नेपाल में Gen Z का विद्रोह: चीन ने तोड़ी चुप्पी, कहा- जल्द लौटे शांति!क्या चीन ओली का साथ छोड़ रहा है? कौन संभालेगा नेपाल की बागडोर? पूरी कहानी पढ़ें

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📸 नेपाल-भारत बॉर्डर पर तनाव: बांके ज़िले में सुरक्षा बढ़ाई गई। लोग सड़कों पर डटे, डर और बेचैनी के बीच इंतज़ार करते लोग। (PTI)


नेपाल में Gen Z का गुस्सा और चीन की चुप्पी टूटी!

नेपाल में फैले जन विद्रोह के बीच अब चीन ने चुप्पी तोड़ दी है। चीनी विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि नेपाल के सभी वर्ग मिलकर देश की समस्याओं को संभाल लेंगे और जल्द से जल्द शांति और स्थिरता लौटेगी।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

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“नेपाल के सभी वर्ग आंतरिक मामलों को शांति से सुलझा सकते हैं। हमें उम्मीद है कि जल्द ही सामाजिक व्यवस्था और स्थिरता बहाल होगी।”

चीन ने साथ ही नेपाल में मौजूद अपने नागरिकों को सुरक्षा पर करीबी नजर रखने की सलाह दी है।


नेपाल में क्या चल रहा है?

मंगलवार को काठमांडू और कई अन्य शहर हिंसा की आग में झुलस उठे।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को सोशल मीडिया बैन के बाद हुए जनविरोध के चलते इस्तीफा देना पड़ा।
प्रदर्शनकारी—ज्यादातर Gen Z युवा—ने संसद, राजनीतिक दफ्तरों और बड़े नेताओं के घरों में आग लगा दी।

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सोमवार रात 10 बजे के बाद सेना ने हालात संभाले और राजधानी में फ्लैग मार्च शुरू हुआ।

🔥 अब तक की हिंसा में कम से कम 19 लोगों की मौत हो चुकी है और 500 से ज्यादा घायल हुए हैं।


भारत ने जारी की एडवायजरी, उड़ानें रद्द

नेपाल में बिगड़ते हालात को देखते हुए भारत ने भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने और घर के अंदर रहने की सलाह दी है।

एयर इंडिया, इंडिगो और स्पाइसजेट जैसी एयरलाइंस ने काठमांडू की उड़ानों को अस्थायी रूप से रद्द कर दिया है।


आखिर विरोध क्यों फूटा?

सब कुछ शुरू हुआ जब सरकार ने फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसी 26 सोशल मीडिया साइट्स पर बैन लगा दिया।

लेकिन ये आंदोलन सिर्फ डिजिटल बैन तक सीमित नहीं रहा।
Gen Z ने इसे भ्रष्टाचार, वंशवाद और राजनीतिक जवाबदेही की लड़ाई बना दिया।

✊ प्रदर्शनकारियों का कहना है कि नेता ऐश कर रहे हैं और देश बेरोजगारी, महंगाई और अराजकता से जूझ रहा है।


चीन ने इतनी देर तक चुप क्यों साधी?

चीन के लिए ये मामला बेहद नाज़ुक था क्योंकि ओली को बीजिंग समर्थक नेता माना जाता रहा है।

प्रधानमंत्री ओली ने चीन के साथ ट्रांजिट डील, चीन-नेपाल रेलवे, और BRI प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाया।
हाल ही में वे V-डे परेड में चीन गए थे, जहां उन्होंने GSI और GCI का समर्थन भी किया—जिसे भारत और जापान ने आपत्तिजनक माना था।

📌 नेपाल की मीडिया और विपक्ष ने ओली की इस चीन झुकाव नीति की कड़ी आलोचना की थी।


क्या नेपाल दूसरा श्रीलंका बन रहा है?

कई लोग इस घटनाक्रम की तुलना श्रीलंका के राजपक्षे परिवार के पतन से कर रहे हैं।
वहां भी चीन समर्थक नेताओं को भ्रष्टाचार और गलत आर्थिक फैसलों के कारण जनता ने बाहर का रास्ता दिखा दिया था।

ओली, जो कभी नेपाल को भारत की छाया से बाहर लाने वाले नेता माने जाते थे, आज खुद जनता के गुस्से का निशाना बन गए हैं।


अब आगे क्या?

नेपाल की सत्ता इस वक्त राजनीतिक शून्य में है।
सेना ने स्थिति संभाली हुई है लेकिन अभी तक कोई स्थायी राजनीतिक समाधान सामने नहीं आया है।

चीन की ये प्रतिक्रिया इस ओर इशारा कर रही है कि बीजिंग अब ओली से दूरी बना रहा है और स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है।

📣 क्या नेपाल में अंतरिम सरकार बनेगी? क्या चीन नई सरकार के साथ काम करेगा? और भारत की रणनीति क्या होगी?
आने वाले हफ्ते इन सवालों के जवाब लेकर आएंगे।

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