कर्नाटक में 6000 वोटरों को हटाने की साजिश पकड़ी गई: राहुल गांधी ने बताया कैसे एक BLO और अनुभवी नेता ने रोकी ‘वोट चोरी’

8 Min Read

कर्नाटक के अलंद विधानसभा सीट पर 2023 चुनाव से पहले एक चौंकाने वाली साजिश का भंडाफोड़ हुआ, जिसमें 5,994 वोटरों के नाम चुपचाप हटाने की कोशिश की गई थी। लेकिन ये चालाकी एक सतर्क बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) की नजरों से बच नहीं सकी और यहीं से शुरू हुई इस साजिश के खुलासे की कहानी।

गुरुवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले को उजागर करते हुए इसे “वोट चोरी” करार दिया और बताया कि यह कांग्रेस की दो अहम सीटों में से एक थी, जहां ऐसा हुआ।


रिश्तेदार का नाम गायब? BLO को हुई गड़बड़ी की भनक

अलंद की एक महिला BLO दिसंबर 2022 से फरवरी 2023 के बीच आए वोटर लिस्ट संशोधन के ऑनलाइन आवेदनों की जांच कर रही थीं। तभी उन्होंने देखा कि उनके ही एक रिश्तेदार का नाम हटाने का आवेदन आया है — जबकि वह व्यक्ति जिंदा था और वहीं, अलंद में ही रह रहा था।

ये भी पढ़ें:Digital Marketing Near Barra Bypass & Karhi, Kanpur – Local Services That Deliver Results
Digital Marketing Near Barra Bypass & Karhi, Kanpur – Local Services That Deliver Results
September 15, 2025

उन्होंने तुरंत उस रिश्तेदार से बात की, जिसने बताया कि उसने कोई ऐसा आवेदन किया ही नहीं। शक बढ़ा तो BLO ने यह बात अपने बेटे को बताई, जो कांग्रेस और विधायक बी. आर. पाटिल के करीबी थे।


हर बूथ से 20-30 नाम हटाने की साजिश!

इसके बाद बी. आर. पाटिल और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पूरे अलंद में 254 मतदान केंद्रों की वोटर लिस्ट की जांच शुरू की। चौकाने वाली बात ये थी कि हर बूथ से औसतन 20 से 30 नाम ऐसे ही चुपचाप हटाने की कोशिश की गई थी। कुल मिलाकर 6,670 वोटरों के नाम हटाने का प्रयास हुआ था।

राहुल गांधी ने दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा,

ये भी पढ़ें:Digital Marketing Near Barra 2, Kanpur – Your Local Business Growth Partner," emphasizing local connection and business growth on a clean background
Digital Marketing Near Barra 2, Kanpur – Your Local Business Growth Partner
September 15, 2025

“किसी ने 6,018 वोट हटाने की कोशिश की। हमें नहीं पता कि कितने वोट आखिर में हटे, लेकिन टॉप 10 बूथ वही थे जो कांग्रेस के गढ़ हैं। 2018 में इनमें से 8 बूथ कांग्रेस ने जीते थे। ये महज इत्तेफाक नहीं, एक प्लान थी।”


कांग्रेस का आरोप: अल्पसंख्यकों और दलितों को बनाया गया निशाना

2023 में 10,348 वोटों से जीत दर्ज करने वाले बी. आर. पाटिल ने कहा कि इस साजिश का निशाना उनके वोट बैंक — अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति और पिछड़े वर्ग — के लोग थे।

“हमारे समर्थकों को चुनकर टारगेट किया गया। ये सिर्फ चुनावी चालाकी नहीं, लोकतंत्र के खिलाफ अपराध था।”


चुनाव आयोग और पुलिस कैसे आए मैदान में?

जब कांग्रेस को पक्के सबूत मिले कि वोट डिलीट करने की कोशिश की जा रही है, तो उन्होंने चुनाव आयोग से ग्राउंड लेवल जांच और केस दर्ज करने की मांग की।

जांच में सामने आया कि 6,018 नाम हटाने के “रिमोट आवेदन” आए थे। लेकिन सच्चाई ये थी कि इनमें से सिर्फ 24 लोग ही अब अलंद में नहीं रहते थे। बाकी 5,994 वोटर आज भी वहीं के निवासी हैं।

21 फरवरी 2023 को, अलंद की रिटर्निंग ऑफिसर ममता कुमारी ने अज्ञात लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, गलत जानकारी देने और जालसाजी का केस दर्ज करवाया। FIR में कहा गया कि “कई मोबाइल फोनों का इस्तेमाल कर OTP के जरिए बिना जानकारी के नाम हटाने के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरे गए।”


‘OTP जाल’: ऐसे हुआ वोट डिलीशन ऑपरेशन

राहुल गांधी ने बताया कि साजिशकर्ताओं ने हर बूथ की वोटर लिस्ट से पहले व्यक्ति का नाम और मोबाइल नंबर लिया, फिर चुनाव आयोग के ऐप में OTP लेकर लॉगिन किया और नाम हटाने का आवेदन भर दिया।

पुलिस जांच में पता चला कि जिन मोबाइल नंबरों से OTP आया, उनके मालिकों को इसकी भनक तक नहीं थी। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया कि यह एक “केंद्रीकृत ऑपरेशन” था — एक तरह का “कॉल सेंटर मॉडल” जो कर्नाटक के बाहर से चल रहा था।


CID ने मांगा डेटा, चुनाव आयोग ने किया अनदेखा?

जब लोकल पुलिस की जांच रुक गई, तो मामला कर्नाटक CID को सौंपा गया। CID ने चुनाव आयोग से उस ऐप से जुड़े टेक्निकल डेटा मांगे जिससे ये फॉर्म भरे गए थे।

हालांकि, शुरुआत में कुछ डेटा मिला, लेकिन बाद में कई अनुरोधों — जिनमें 1 फरवरी 2025 का पत्र भी शामिल था — का कोई जवाब नहीं आया।

राहुल गांधी का दावा था:

“CID ने 18 महीनों में 18 पत्र भेजे। वे सिर्फ ये जानना चाहते थे कि ये फॉर्म कहां से भरे गए, किस डिवाइस से, कौन-से IP एड्रेस से, और OTP ट्रेल क्या था?”


चुनाव आयोग की सफाई

कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) ने बयान जारी कर बताया कि दिसंबर 2022 में उन्हें 6,018 वोट हटाने के आवेदन मिले थे।

“इतने सारे आवेदनों की सत्यता पर शक हुआ, इसलिए हर एक की जांच की गई।”

उन्होंने दावा किया कि 6 सितंबर 2023 को कलबुर्गी पुलिस अधीक्षक को जरूरी डेटा सौंप दिया गया — जिसमें नाम, वोटर ID, मोबाइल नंबर, ऐप डिटेल्स, IP, तारीख और टाइम शामिल था।

हालांकि पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसके बाद CID के कई लेटर का कोई जवाब नहीं मिला।


अलंद: एक हॉट सीट की सियासी लड़ाई

अलंद, कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में आता है, जहां SC/ST और अल्पसंख्यकों की संख्या अधिक है। यहां मुकाबला था लिंगायत नेता बी. आर. पाटिल और उनके पुराने प्रतिद्वंद्वी सुभाष गुट्टेदार के बीच, जो अब बीजेपी में हैं और पिछड़े समुदाय से आते हैं।

दोनों नेता इस सीट से चार-चार बार विधायक रह चुके हैं।

  • पाटिल ने 1983 से अब तक जनता दल, कर्नाटक जनता पार्टी और 2023 में कांग्रेस से जीत हासिल की है।
  • गुट्टेदार ने 1994 से अब तक कर्नाटक कांग्रेस पार्टी, जनता दल और 2018 में बीजेपी के टिकट पर जीत दर्ज की है।

2018 में पाटिल सिर्फ 697 वोटों से हारे थे।

कांग्रेस नेताओं का मानना है कि इतने करीबी चुनावों में वोटरों के नाम हटाने जैसी साजिशें फायदा पहुंचाने के लिए ही होती हैं

“शहरी इलाकों में ऐसे ऑपरेशन का पता लगाना मुश्किल होता है। लेकिन अलंद में BLO की सतर्कता ने सबकी पोल खोल दी।”


📌 निष्कर्ष:
अलंद की इस घटना ने दिखा दिया कि टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर लोकतंत्र से खेलना अब भी संभव है — लेकिन अगर सिस्टम में कुछ लोग ईमानदारी से काम करें, तो साजिशें भी नाकाम हो सकती हैं।

🗳️ क्या यह सिर्फ एक राज्य की घटना थी, या कहीं और भी ऐसा कुछ हुआ है? क्या चुनाव आयोग सच में जांच में सहयोग कर रहा है? इन सवालों के जवाब अभी बाकी हैं…

Share This Article