गुजरात: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लिए एक बहुत बड़ी राहत की खबर आई है। गुजरात हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को न्यूनतम ₹24,800 और सहायिकाओं को ₹20,300 मासिक वेतन देने का आदेश दिया है।
जो महिलाएं अब तक बेहद कम मानदेय में समाज सेवा कर रही थीं, अब उन्हें न सिर्फ बेहतर वेतन मिलेगा, बल्कि समाज में सम्मान भी बढ़ेगा।
🔹 हाइलाइट्स:
- आंगनवाड़ी कर्मचारियों को अब मिलेगा न्यूनतम वेतन, नियमित कर्मचारियों जैसा दर्जा
- सालों के संघर्ष के बाद मिली ये बड़ी जीत
- कोर्ट ने कहा – “ये महिलाएं सामाजिक ढांचे की रीढ़ हैं, इन्हें पूरा सम्मान मिलना चाहिए”
- बकाया वेतन भी मिलेगा
💪 संघर्ष जो बना मिसाल
ये फैसला अचानक नहीं आया। आंगनवाड़ी बहनें सालों से अपने अधिकारों के लिए लड़ रही थीं – धरने, रैलियां, और दर्जनों ज्ञापन देने के बाद आखिरकार उन्हें इंसाफ मिला है।
हजारों महिलाएं कम मानदेय में काम कर रही थीं, जबकि उनकी जिम्मेदारियां किसी भी सरकारी कर्मचारी से कम नहीं थीं – बच्चों की देखभाल से लेकर कुपोषण से लड़ाई तक।
⚖️ हाई कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा:
“आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं देश के भविष्य यानी बच्चों की नींव मजबूत कर रही हैं। उन्हें सिर्फ ‘मानदेय’ नहीं, वास्तविक वेतन और सम्मान मिलना चाहिए।”
यह फैसला न सिर्फ सामाजिक न्याय, बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
📈 अब क्या मिलेगा?
पद | पहले का मानदेय (लगभग) | अब तय वेतन |
---|---|---|
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता | ₹7,500 – ₹10,000 | ₹24,800 प्रति माह |
आंगनवाड़ी सहायिका | ₹4,000 – ₹5,500 | ₹20,300 प्रति माह |
👩⚕️ क्यों है यह फैसला खास?
- महिला कर्मचारियों को पहली बार इतना बड़ा वेतनमान
- सरकारी मान्यता के बराबर वेतन
- आने वाले समय में अन्य राज्यों पर भी पड़ेगा असर
- सरकार पर बकाया वेतन देने की जिम्मेदारी भी
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