हर्ष जैन ने कहा कि कंपनी के पास अगले कुछ सालों तक चलने के लिए पर्याप्त नकदी भंडार है, लेकिन सरकार के रियल-मनी गेमिंग पर पूर्ण प्रतिबंध ने उनकी 95% आय को खत्म कर दिया है। अब कंपनी स्पोर्ट्स AI, स्ट्रीमिंग और क्रिएटर-लेड फैन इंगेजमेंट जैसे नए कारोबार पर ध्यान देगी।
Dream Sports CEO हर्ष जैन: रियल-मनी गेमिंग बैन को नहीं देंगे कानूनी चुनौती
फैंटेसी स्पोर्ट्स की दिग्गज कंपनी Dream11 की पैरेंट कंपनी Dream Sports ने साफ कर दिया है कि वह सरकार के रियल-मनी गेमिंग पर लगाए गए प्रतिबंध को कानूनी तौर पर चुनौती नहीं देगी। इसके साथ ही इस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी के कोर्ट जाने की अटकलों पर भी विराम लग गया है। यह प्रतिबंध ऑनलाइन गेमिंग प्रोमोशन एंड रेगुलेशन बिल, 2025 के तहत लागू हुआ है। नए कानून ने Dream Sports की 95% आय और 100% मुनाफे को खत्म कर दिया है, जिससे भारत में रियल-मनी गेमिंग उद्योग का अंत हो गया है। कंपनी के सह-संस्थापक और CEO हर्ष जैन ने ET से बातचीत में कहा, “सरकार ने साफ कर दिया है कि वे इसे नहीं चाहते। हम कानूनी लड़ाई में ऊर्जा बर्बाद नहीं करेंगे और कानून के दायरे में रहकर काम करेंगे। अगर भविष्य में नियम बदलते हैं, तो हम फिर से विचार करेंगे।” जैन ने कहा कि इस प्रतिबंध की रफ्तार ने कंपनी को हक्का-बक्का कर दिया। उन्होंने इसे “नॉकआउट पंच” करार दिया। 2021 में Dream Sports की वैल्यूएशन 8 बिलियन डॉलर थी, जब इसने Alpha Wave Global, Tiger Global, DST Global और TPG जैसे बड़े निवेशकों से 840 मिलियन डॉलर जुटाए थे। तेजी से लागू हुआ बिल
यह बिल रिकॉर्ड समय में पास हुआ: मंगलवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी, बुधवार को लोकसभा में पास हुआ, गुरुवार को राज्यसभा से मंजूरी मिली और शुक्रवार को राष्ट्रपति ने इसे कानून बना दिया। जैन ने कहा, “72 घंटों में 14 साल पुराना बिजनेस खत्म हो गया।” मुंबई मुख्यालय वाली Dream11 ने 2017 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के फैंटेसी गेमिंग को स्किल गेम मानने के फैसले के बाद तेजी से तरक्की की थी। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले को बरकरार रखा था। कंपनी के पास अब 260 मिलियन रजिस्टर्ड यूजर्स हैं, जो जैन के मुताबिक कंपनी के रीसेट के लिए मजबूत आधार होंगे।
टैक्स की मार और पहले की चुनौतियाँ
Dream11 भले ही इस सेक्टर की सबसे बड़ी कंपनी रही हो, लेकिन यह नियामक झटकों से अछूती नहीं रही। 2023 में GST काउंसिल ने फुल फेस वैल्यू पर 28% टैक्स लगाने का फैसला किया था, जिसने इस सेक्टर को पहले ही बड़ा नुकसान पहुंचाया। जैन ने कहा, “2.5 लाख करोड़ रुपये का रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स डिमांड हमारी आय का 10 गुना है। पब्लिक कंपनियों को भी उनकी मार्केट वैल्यू से ज्यादा के नोटिस मिले। अगर यह डिमांड बरकरार रही, तो 400 कंपनियां नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में पहुंच जाएंगी। यह एक घातक प्रहार है।”
AI पर दांव
रियल-मनी गेमिंग के रास्ते बंद होने के बाद Dream Sports अब स्पोर्ट्स AI, फ्री-टू-प्ले फैन इंगेजमेंट और क्रिएटर-लेड प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रही है। जैन ने कहा, “हमने लाखों लोगों का भरोसा जीता है और जानते हैं कि मुनाफे के साथ स्केल कैसे करना है। AI स्पोर्ट्स, कंटेंट, कॉमर्स, परफॉर्मेंस और कोचिंग के हर हिस्से को बदल देगा। हम AI-फर्स्ट अप्रोच के साथ इस मौके को भुनाने के लिए तैयार हैं।” कंपनी के पास अभी भी 800 कर्मचारी हैं, जिनमें 500 इंजीनियर शामिल हैं, और रीसेट के लिए पर्याप्त पूंजी भी है। Dream11 अब फ्री-टू-प्ले फैंटेसी कॉन्टेस्ट्स पर शिफ्ट हो चुकी है, जहां विजेताओं को विज्ञापन-प्रायोजित पुरस्कार मिलते हैं। जैन ने इंग्लिश प्रीमियर लीग के फैंटेसी प्रीमियर लीग का उदाहरण दिया, जहां लोग बिना नकद पुरस्कार के भी थर्ड-पार्टी एनालिटिक्स टूल्स पर खर्च करते हैं। “लोग गर्व और बौद्धिक चुनौती के लिए खेलते हैं। क्रिएटर इकॉनमी भविष्य में बहुत बड़ी होगी,” उन्होंने कहा। Dream Sports के अन्य वर्टिकल्स जैसे FanCode (स्पोर्ट्स स्ट्रीमिंग और मर्चेंडाइजिंग प्लेटफॉर्म, जिसमें F1 और La Liga के कॉन्ट्रैक्ट्स हैं) और DreamSetGo (स्पोर्ट्स ट्रैवल वेंचर) पर इस बैन का कोई असर नहीं पड़ा है।