7 सितंबर 2025 की रात भारत समेत एशिया, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के कुछ हिस्सों में लोगों ने आसमान का सबसे अनोखा नजारा देखा। रात 9 बजे के करीब चांद अचानक गहरे लाल रंग में बदल गया। यह नजारा पूर्ण चंद्र ग्रहण का था, जिसे आम भाषा में “ब्लड मून” कहते हैं। भारत में लोग छतों और खुले मैदानों से इस खूबसूरत लाल चांद को देखकर हैरान रह गए।
आखिर चांद लाल क्यों हो जाता है? इसका हमारी धरती से क्या कनेक्शन है? और वैज्ञानिक इसे इतना खास क्यों मानते हैं? आइए, 5 पॉइंट्स में समझते हैं:
1. चंद्र ग्रहण क्या है?
जब धरती सूरज और चांद के बीच आ जाती है और सूरज की रोशनी चांद तक नहीं पहुंच पाती, तो इसे चंद्र ग्रहण कहते हैं। अगर पूरा चांद छाया में आता है, तो यह पूर्ण ग्रहण कहलाता है।
2. चांद लाल क्यों हो जाता है?
धरती का वायुमंडल सूरज की रोशनी को मोड़कर चांद तक पहुंचाता है। इस दौरान नीली रोशनी बिखर जाती है और लाल रोशनी चांद को रोशन करती है। इसी वजह से चांद लाल दिखाई देता है।
3. लाल रंग धरती के बारे में क्या बताता है?
ब्लड मून का रंग हमारे वातावरण की कहानी कहता है। ज्यादा प्रदूषण या ज्वालामुखी की राख होगी, तो चांद और भी गहरा लाल दिखेगा। 2023 में यूनिवर्सिटी ऑफ जेनेवा ने पुराने ब्लड मून रिकॉर्ड्स से पाया कि कई बार ज्वालामुखी विस्फोट के बाद चांद महीनों तक गहरे लाल दिखता था।
4. ब्लड मून और सूर्यास्त का कनेक्शन
ब्लड मून का लाल रंग वही कारण है जो आसमान को नीला और सूर्यास्त को लाल-नारंगी बनाता है। इसे रेले स्कैटरिंग कहते हैं। नीली रोशनी जल्दी बिखर जाती है, इसलिए दिन में आसमान नीला दिखता है। जबकि सूर्यास्त या ग्रहण के समय लाल रोशनी बचती है, और यही चांद को भी लाल बना देती है।
5. भारत में कब और कैसे दिखा ब्लड मून
भारत में यह नजारा इस तरह दिखा (IST टाइमिंग):
- 8:58 PM, 7 सितंबर: पेनुम्ब्रल ग्रहण शुरू
- 9:57 PM: आंशिक ग्रहण शुरू
- 11:00 PM: पूर्ण ग्रहण (ब्लड मून) शुरू
- 11:41 PM: चरम पर ग्रहण
- 12:22 AM, 8 सितंबर: पूर्ण ग्रहण खत्म
- 1:26 AM: आंशिक ग्रहण खत्म
- 2:25 AM: पेनुम्ब्रल ग्रहण खत्म
इसे देखने के लिए किसी खास दूरबीन या उपकरण की जरूरत नहीं थी। बस साफ आसमान और खुले मैदान से लाल चांद का नजारा आसानी से देखा जा सका।
👉 यह ब्लड मून सिर्फ खूबसूरती नहीं, बल्कि हमारी धरती और उसके बदलते माहौल की असली तस्वीर भी दिखाता है।