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Gen Z का फूटा गुस्सा: काठमांडू जल उठा!
नेपाल की राजधानी काठमांडू मंगलवार को पूरी तरह से जलते शहर में बदल गई। सरकार की दमनकारी नीतियों से गुस्साए ‘Gen Z’ युवाओं ने संसद, सरकारी दफ्तरों, बड़े नेताओं के घरों और राजनीतिक पार्टियों के ऑफिस में आग लगा दी।
सबसे बड़ा धमाका तब हुआ जब सोमवार को पुलिस फायरिंग में 19 युवा प्रदर्शनकारी मारे गए। इसके बाद राजधानी में ऐसा माहौल बन गया जैसे देश में अब कोई सरकार ही नहीं बची हो।
- पीएम के पी शर्मा ओली ने तत्काल इस्तीफा दे दिया।
- राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल को सेना ने सुरक्षित जगह पहुंचाया।
- कई नेता भीड़ की हिंसा में फंस गए, जिन्हें हेलिकॉप्टर से बचाया गया।
कौन हैं ये प्रदर्शनकारी, और क्यों भड़के इतने ज़्यादा?
कुछ महीनों से फेसबुक पेजों पर जैसे ‘Next Generation Nepal’ लगातार नेताओं की भ्रष्टाचार की पोल खोल रहे थे। किसी का नाम तो सामने नहीं आया, लेकिन साफ था कि ये आवाज़ 1996 से 2012 के बीच जन्मे Gen Z युवाओं की थी।
इन युवाओं का गुस्सा नेताओं के “नेपो किड्स” और “नेपो बेबीज़” पर भी था, जो राजनीति में बिना मेहनत के राज कर रहे हैं और शाही ज़िंदगी जी रहे हैं।
सोशल मीडिया बैन बना गुस्से की चिंगारी
सरकार ने कुछ हफ्ते पहले फेसबुक, इंस्टाग्राम, X (Twitter), यूट्यूब और व्हाट्सएप समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को बैन कर दिया। वजह ये थी कि ये प्लेटफॉर्म तय समय में रजिस्टर नहीं हुए।
युवाओं के लिए ये बैन ऐसा था जैसे उनकी आवाज़ को जबरन बंद किया जा रहा हो। नतीजा – सोमवार को हजारों युवा सड़कों पर उतर आए, और पुलिस फायरिंग में 19 की मौत ने आंदोलन को हिंसक रूप दे दिया।
शाम तक सरकार को सोशल मीडिया बैन हटाना पड़ा।
लेकिन युवाओं की मांग सिर्फ यहीं तक नहीं रुकी —
👉 भ्रष्टाचार खत्म करो
👉 नौकरियां दो
👉 समाज में समानता लाओ
किन नेताओं के घर बने निशाना?
प्रदर्शनकारियों का गुस्सा मंगलवार को सीधे सत्ता के केंद्र पर फूटा।
कम से कम 5 पूर्व प्रधानमंत्रियों के घर जलाए गए या बुरी तरह तोड़े गए:
- के पी शर्मा ओली
- प्रचंड (पुष्प कमल दहाल)
- माधव कुमार नेपाल
- झाला नाथ खनाल
- शेर बहादुर देउबा
सबसे दुखद घटना:
खनाल की पत्नी राजलक्ष्मी चित्रकार की जलने से मौत हो गई।
देउबा और उनकी पत्नी (विदेश मंत्री अर्जु देउबा) पर हमला हुआ।
वित्त मंत्री बिष्णु पौडेल और सांसद एकनाथ ढकाल को भीड़ ने निर्वस्त्र कर घुमाया।
प्रचंड का चितवन वाला घर और अर्जु देउबा का धनगढ़ी वाला घर पूरी तरह जल गया।
नक्खु जेल में आग और RSP नेता की रिहाई
ललितपुर की नक्खु सेंट्रल जेल को भी आग के हवाले कर दिया गया।
वहीं से रिहा कर दिए गए रवि लामिछाने, जो RSP (राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी) के प्रमुख हैं और ओली सरकार के कड़े आलोचक।
अब नेपाल चला कौन रहा है?
साफ तौर पर कहें तो – कोई नहीं।
सरकार गायब है, पीएम और राष्ट्रपति जा चुके हैं। संसद भंग करने की मांग जोरों पर है।
नेपाली सेना के चीफ जनरल अशोक राज सिग्देल ने शांति की अपील की है और कहा है कि सभी राजनीतिक ताकतों को राष्ट्रिय सुलह की दिशा में बढ़ना होगा।
क्या अब सेना सत्ता संभालेगी?
फिलहाल सेना ने कहा है कि वो सुरक्षा व्यवस्था संभालेगी, लेकिन राजनीति में सीधा दखल देने की संभावना कम है।
हालात ऐसे हैं कि सेना को शांति बनाए रखने और राजनीतिक दलों के बीच बातचीत कराने की ज़िम्मेदारी मिल सकती है।
विपक्ष क्या कर रहा है?
Gen Z का गुस्सा किसी एक पार्टी पर नहीं है – हर बड़े नेता को निशाना बनाया गया है।
- काठमांडू के मेयर बालेन शाह (जो एक पूर्व रैपर हैं)
- RSP नेता रवि लामिछाने (पूर्व टीवी एंकर)
दोनों ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया है।
RPP (राजशाही समर्थक पार्टी) संसद से सामूहिक इस्तीफे पर विचार कर रही है।
क्या फिर से लौटेगा राजतंत्र?
पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने शोक संवेदना जताई है और तत्काल बातचीत की अपील की है।
👉 जानकारों का मानना है कि वे संवैधानिक राजा की भूमिका निभाने के लिए तैयार हो सकते हैं — अगर सिस्टम दोबारा रचा जाता है।
भारत क्या सोच रहा है?
भारत नेपाल की इस अराजकता से गहरी चिंता में है।
नेपाल की राजनीति में भारत की भूमिका को लेकर हमेशा सवाल उठते रहे हैं — खासतौर पर माओवादियों को मुख्यधारा में लाने में।
मंगलवार देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। उन्होंने कहा:
“नेपाल की हिंसा बेहद दुखद है।
नेपाल की स्थिरता, शांति और विकास हमारे लिए सबसे जरूरी है।”
Bottom Line: काठमांडू क्यों जल रहा है?
8 और 9 सितंबर को नेपाल ने दशकों का सबसे बड़ा विद्रोह देखा।
Gen Z अब चुप नहीं बैठ रहा।
नेता अब बंकर में छुपे हैं।
और देश – एक नए मोड़ पर खड़ा है।